योग गुरु बाबा रामदेव और उनके शिष्य आचार्य बालाकृष्ण द्वारा संचालित की जाने वाली पतंजलि समूह ने हरियाणा के फरीदाबाद ज़िले के अरावली क्षेत्र के कोट गांव में 400 एकड़ से अधिक वन भूमि पर ख़रीदी किया है. बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपने रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वन भूमि के अधिकतर हिस्सों पर ख़रीदी वर्ष 2014 से 2016 के बीच हुआ था. कोट में क़रीब 300 से अधिक पावर ऑफ अटॉर्नी समझौते के तहत इस ज़मीन का लेन-देन किया गया है.

गुड़गांव और फरीदाबाद को जोड़ने वाले राज्य राजमार्ग में अरावली पहाड़ियों के बीच बसा कोट एक पेरी शहरी गांव है. यहां लगभग 250 परिवार यहां रहता है.



ग़ौरतलब है कि क़ानूनी तौर पर इस भूमि को अधिग्रहित नहीं किया जा सकता. क्योंकि, जिस ज़मीन की लेन-देन की गयी है वह 400 एकड़ से अधिक की ज़मीन ‘ग़ैर मुमकिन पहाड़’ और ‘शामलात देह’ के अंतर्गत था. गैर मुमकिन पहाड़ी पर खेती व व्यवसाय नहीं हो सकता है और ना ही इसकी ख़रीद फ़रोख़्त की जा सकती है. यह सिर्फ पहाड़ ही रहता है. वहीं, शामलात देह भूमि का उपयोग सामूहिक कार्यों के लिए होता है. इस भूमि पर ग्राम पंचायत का अधिकार होता है और इसे किसी व्यक्ति या कंपनी को नहीं बेंचा जा सकता.

ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में निर्देश दिया था कि शामलात देह ज़मीन को ग्राम पंचायत को वापस कर देना चाहिए. साथ ही इसकी बिक्री को अवैध करार दिया गया.

हरियाणा सरकार ने फरवरी 2019 में बेहतर खेती व विकास के लिए ज़मीन को समेकित करने की प्रक्रिया शुरु की. जिसके तहत बड़े क्षेत्र में फैले हुए छोटे-छोटे भूखंडो को एक साथ लाया जाता है. यह प्रक्रिया पतंजलि ग्रुप के लिए फायदेमंद साबित होगा. क्योंकि, इससे अधिग्रहित ज़मीन पर पतंजलि समूह के स्वामित्व की पुष्टी हो जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हरियाणा सरकार को फटकार

हरियाणा विधानसभा ने फरवरी में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम 1990 में संसोधन किया. जिससे अरावली पर्वत क्षेत्र में रियल स्टेट के विकास और हज़ारों एकड़ ज़मीन के ख़रीदी का रास्ता साफ हो सके. इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर जंगल को तबाह करने का आरोप लगाते हुए कड़ी फटकार लगाई थी और अदालत ने संशोधित अधिनियम के तहत ज़मीन ख़रीदी जैसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.

 पतंजलि ग्रुप ने भूमि से जुड़े सवालों को नहीं दिया जवाब

बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा इस भूमि की लेन-देन से जुड़ी सभी दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद पतंजलि समूह, इसके प्रवक्ता, इससे जुड़ी कंपनियां और इससे जुड़ी रियल स्टेट एजेंट और आचार्य बालकृष्ण को इस संबंध में प्रश्नों से जुड़ी एक सूची भेजी गयी. कई बार याद दिलाने के बावजूद भी इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिला. साथ ही हरियाणा के अधिकारियों ने भी पतंजलि समूह के ख़रीदी के बारे में विशेष प्रश्नों का जवाब नहीं दिया. लेकिन, कोट गांव में भूमि समेकित के उनके आदेश को सही ठहराया.

इस मामले पर सुप्रीम का आदेश आने से पहले अवैध रुप से ख़रीदी गई ज़मीनों को वापस लेने के लिए और समेकित कार्यवाही को चुनौती देने वाला एक मामला गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर कोर्ट के पास लंबित है. 2018 में 4 व्यक्तियों ने कथित तौर पर अदालत में दावा किया कि वे सामूहिक रुप से शामलात देह के 321 विवादित मालिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन 321 विवादित मालिकों ने पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) समझौते के माध्यम से 400 एकड़ से अधिक संपति के अधिकार सौंप दिए थे. इन चारों में से एक, प्रवीण कुमार शर्मा ने सबूत के तौर पर अदालत में इन पावर ऑफ अटॉर्नी समझौतों की 104 प्रतियां भी जमा की.

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स्त्रोत : newscentral24*7.com